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भाभी की चुदाई

भाभी की चुदाई करने का अपना ही मजा है. Delhi Escorts bhabhi ki chudai ki kahani, Bhabhi ki Chut sex story, bhabi ki chut ki cudai ki kahani

शायद ही कोई ऐसा मर्द हो जिसने अपनी सगी भाभी, चचेरी ममेरी फुफेरी भाभी या पड़ोस की भाभी की चुत के सपने ना देखें हों. बहुत से लड़के, मर्द खुश किस्मत होते हैं जिन्हें ऎसी भाभी की चुत की चुदाई करने का मौक़ा मिल जाता है.. ऐसे ही कुछ भाग्यशाली मर्दों की भाभी की चुदाई की हिंदी सेक्स कहानी हैं यहाँ!

भाभी पानी के बहाने आकर ठुकवाई

लॉकडाउन में भाभी ने मेरी प्यास बुझायी

घर में सेक्स की कहानी में पढ़ें कि लॉकडाउन में भाभी और मैं एक साथ समय बिताते थे. एक दिन मैं भाभी के बिस्तर पर लेटा था. तो क्या हुआ?

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राजीव है. मैं गुड़गांव का रहने वाला हूँ. ये घर में सेक्स की कहानी मेरी और मेरी भाभी की है. सबसे पहले माफी मांगूंगा कि सेक्स कहानी लिखने में मुझसे कोई गलती हो जाए तो प्लीज़ नजरअंदाज कर दीजिएगा.

ये घर में सेक्स की कहानी अभी लॉकडाउन की ही है. जो भी मेरे साथ घटा था, आज मैं उसे इस साइट के माध्यम से आप सबको बताना चाहता हूं.

मैं अभी 26 साल का हूँ. मेरी फैमिली में मैं, मेरे पापा-मम्मी और भाई-भाभी रहते हैं. एक बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है.

भाई भाभी मुझसे 2 साल बड़े हैं. मेरी भाभी का नाम नीलम है. भाभी दिखने में बहुत सुंदर हैं. उनका रंग एकदम दूध सा गोरा है और भरा हुआ शरीर है. भाई की मार्केटिंग की जॉब है … तो वो बाहर जाते रहते हैं.

मैं बहुत सीधा और साधारण सा दिखने वाला लड़का हूँ, ज्यादा डींगें हांकना मुझे आता नहीं है. मैं खुद के लिए वो सब नहीं लिखूंगा कि मेरा लंड इतना बड़ा है … या मैं दिखने कोई सलमान खान जैसा हूँ. मैं एक औसत कद काठी का 5 फ़ीट 7 इंच वाला नवयुवक हूँ.

हुआ यूं कि इसी साल 20 मार्च को भाई अपने मार्केटिंग के काम मुम्बई गए थे. उनको उधर एक हफ्ते का काम था.

उसके बाद लॉकडाउन लगा, तो भाई वहीं फंस गए. यहां सबको टेंशन हो रही थी. सबसे ज्यादा भाभी को चिंता हो रही थी.
वैसे सब कुछ सामान्य था. भाई उधर ठीक से रह रहे थे. उन्हें उधर रहते हुए अब एक महीना होने जा रहा था.

भाभी को भैया से दूर होने से शारीरिक भूख सताने लगी थी.

मेरा और मेरी भाभी के बीच अब तक कोई ऐसा वैसा सम्बन्ध नहीं था. मैं कभी भी अपनी भाभी के बारे में गलत नहीं सोचा था … और न ही उनके लिए मेरे मन में कभी कोई गलत ख्याल ही आया था.

भाई को गए हुए एक महीना हो गया था, तो भाभी भी उदास रहती थीं. मैंने उनके साथ खेलने के लिए लूडो और कैरमबोर्ड निकाल लिया था, जो काफी दिनों से धूल खा रहा था.

सारे दिन मैं भाभी के कमरे में उनके साथ लूडो ओर कैरम खेलता रहता, जिससे घर वालों को भी कोई ऐतराज नहीं था.

शुरू में तो मम्मी भी कई बार कमरे में आ जाती थीं कि हम दोनों क्या कर रहे हैं.

भाभी का और मेरा कमरा पहली मंजिल पर है. मम्मी के घुटनों में दर्द रहता है, तो वो ज्यादा ऊपर नहीं आती थीं … और पापा तो अपने आप में ही मस्त रहते थे.
उनको किसी की टेंशन नहीं थी.

ऐसे ही एक दिन दोपहर का टाइम था, हम दोनों लूडो खेल रहे थे. लूडो खेलते खेलते हम दोनों ही काफी बोर हो गए थे … तो मैं भाभी के साथ बेड पर ही लेट गया.

भाभी मुझसे बात करने लगीं- अब तेरी गर्लफ्रेंड का फोन नहीं आता … क्या बात है … उससे कट्टी हो गई है क्या?
मैंने बताया- हां यार भाभी … उससे मेरा ब्रेकअप हो गया है.
भाभी ने पूछा- क्यों?

अब इसका रीज़न तो मुझे खुद भी नहीं पता था कि मेरी गर्ल फ्रेंड ने मुझसे बोलना क्यों छोड़ दिया.
मैं ठहरा सीधा साधा, तो ज्यादा तेल लगाना मुझे आता नहीं था. उसने मुझसे बोलना बंद कर दिया था, तो मैंने भी उसे भाव नहीं दिया.

मैं भाभी से बोला कि पता नहीं क्यों … उसने बस मुझसे बात करना छोड़ दिया है.
भाभी बोलीं- ऐसे कोई बिना बात के थोड़े ही बात करना छोड़ देता है, तुमने उसका दिल दुखाया होगा.
मैंने कहा- नहीं भाभी, आप तो मेरा स्वभाव जानती हो, उसने बिना किसी बात के मुझसे बोला छोड़ दिया है.

मुझे अपनी गर्लफ्रेंड की याद आ गई और मेरी आंखों में आंसू आ गए.

ये देख कर पहले तो भाभी मुझे चुप करा रही थीं मगर वो जितना मुझे चुप होने के लिए बोल रही थीं, मुझे उतना ज्यादा रोना आ रहा था, जो एकदम नेचुरल था.

फिर अचानक से भाभी ने मुझे जोर से गले लगा लिया. मैंने भी अपना सर भाभी के सीने में छिपा लिया. हम दोनों वैसे ही कम से कम 2 से 3 मिनट वैसे ही चिपके रहे.

जब मैं नार्मल हुआ तो भाभी ने मुझे छोड़ दिया. उन्होंने मुझे पानी पिलाया और मैं अपने कमरे में चला गया.

शाम हुई तो भाभी मुझे बड़ी प्यार से देख रही थीं. भाभी ने खाना बनाया, सबने खाया. भाभी खाना खाते हुए बोलीं कि चलो कैरम खेलते हैं.
मैं बोला- ठीक है.

थोड़ी देर में मैं भाभी के कमरे में आ गया, तो भाभी वहीं खड़ी थीं. उन्होंने मुझे फिर से गले लगा लिया और टाइट हग कर लिया.

इस समय मेरा लंड खड़ा होने लगा और मन में चलने लगा कि न जाने आज भाभी को क्या हो गया है, इतनी जोर से मुझे क्यों भींच लिया है.

मेरा लंड उन्हें चुभने लगा, तो मैंने अपने मन से ही उन्हें सफाई देते हुए कहा- भाभी सच में मुझे अपनी गर्लफ्रेंड की बड़ी याद आ रही है.

भाभी भी समझ गई थीं कि लंड खड़ा होने की वजह से मैं ऐसा कह रहा हूँ. भाभी बोलीं कि होता है इस उम्र में … लड़कियां होती ही हैं ऐसी कि कोई भी मिला पैसे वाला, तो उसके साथ हो गईं. तू टेंशन न ले.

अब भाभी को लेकर मेरे ख्यालात बदल चुके थे. मैं भाभी को दूसरी ही नज़र से देख रहा था. मुझे भाभी अब एक अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं. मेरी हवस मुझ पर हावी हो रही थी.

इतने में भाभी ने अपनी जकड़न ढीली की और बोलीं- चल खेलते हैं.
हम दोनों खेलने लगे.

आज भाभी की चुचियां भी कुछ ज्यादा ही ज्यादा दिख रही थीं. उन्होंने नाइटी के अन्दर पिंक कलर की ब्रा पहनी थी, जो कि एकदम साफ़ दिख रही थी. उनके दूध देख कर मेरा लंड लोअर में टेंट बन रहा था, जो छुपाए नहीं छिप रहा था.

भाभी भी पता नहीं क्यों काफी खुश थीं, वो मेरी तरफ देख देख कर स्माइल कर रही थीं, शायद उनको मेरा खड़ा होता लंड दिख गया होगा.

हम दोनों का मन दूसरे खेल की तरफ चलने लगा. भाभी बड़ी झुक झुक कर स्ट्राइकर चला रही थीं, जिससे उनकी पूरी चूचियां मुझे हिलती दिख रही थीं.

हमारा गेम कुछ देर बाद खत्म हुआ और भाभी जीत गयी थीं.

भाभी मेरे गाल पकड़ कर बोलने लगी- बच्चे मुझसे नहीं जीत पाओगे.
मैं बोला- भाभी मैं बच्चा नहीं हूँ. आपको भी मालूम है.
मेरी इस बात पर भाभी हंस दीं और बोलीं- हां न तू छोटा है और न तेरा!
इतना कह कर वो चुप हो गईं, मैं समझ गया कि भाभी मेरे लंड के लिए कह रही थीं.

मैं भी हंसते हुए अपने रूम में आ गया और अन्दर आकर मैं भाभी की चूचियों को याद करते हुए मुठ मारने लगा. कुछ ही देर में मेरे लंड से माल छूट गया और मैं लेट गया.

उस पूरी रात मेरे सपनों में भाभी के चुचे ही बार बार सामने आ रहे थे. मुझे नींद नहीं आ रही थी. जैसे तैसे सोया तो सुबह देर से उठा.

सोकर उठने के बाद मैंने नहाया और नाश्ता के लिए आ गया.

मम्मी ने ही नाश्ता दिया.
मैंने उनसे पूछा कि मम्मी, आज भाभी कहां हैं?
मम्मी ने बताया कि वो अभी ही ऊपर गयी है.

मैं नाश्ता करके ऊपर गया और उनके कमरे में चला गया. अन्दर जाते ही मैंने भाभी को हग कर दिया.

भाभी हंस कर बोलीं- क्या बात है देवर जी … आज बड़े रोमांटिक लग रहे हो?
मुझे उनसे ऐसे बोलने की उम्मीद नहीं थी. भाभी ने कोई ऐतराज नहीं किया.

मैंने उनको छोड़ा भी नहीं, मैं यूं ही भाभी को अपनी बांहों लिए लिए बोला कि आज मुझे प्रीति की बहुत याद आ रही है.
प्रीति मेरी गर्लफ्रेंड थी.

तो भाभी ने मुझे थोड़ा दूर किया और बोलीं- अगर प्रीति यहां होती, तो क्या करते?
मैंने भाभी को गाल पर चूम लिया और बोला- और बताऊं कि क्या करता!
तो भाभी झूठ मूठ का गुस्सा दिखा कर बोलीं- मैं तेरी भाभी हूँ … तेरी गर्लफ़्रेंड नहीं हूँ.

उनके इस रिएक्शन से पहले तो मैं डर गया और उनसे अलग होते हुए बोला कि सॉरी भाभी, एक तो मैं उसको मिस कर रहा था और ऊपर से आपने ऐसे पूछा कि मुझसे रहा ही नहीं गया.
भाभी स्माइल करते हुए मेरे पास आईं और बोलीं- कभी भी उसकी याद आए, तो मेरे पास आ जाना.

वे मेरे इतना पास थीं कि 3 या 4 इंच ही दूर होंगी.
मैंने उन्हें फिर से हग कर लिया और इस बार ड्रामा करते हुए रोने लगा.
भाभी मुझे कसते हुए बोलीं- बहुत प्यार करता है उससे!
मैंने हां में सिर हिला दिया.

भाभी ने मुझे मेरे गाल पर किस कर दिया. उनकी चुम्मी से मेरा लंड तो बस लोअर फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो गया था.
मैंने भी बदले में भाभी को उनके गाल पर और माथे पर 3-4 किस कर दिए.
भाभी मुझसे देखते हुए मुस्कुराने लगीं और बोलीं- चल खेलते हैं.

मैंने मना कर दिया और बस मैं भाभी को देखते जा रहा था.
भाभी ने पूछा- क्या हो गया … बड़े प्यार से देख रहे हो?

मैं भाभी के पास गया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर उन्हें किस करने को आगे बढ़ा.
उन्होंने कुछ भी रियेक्ट नहीं किया, तो मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ धर दिए और चूमने लगा. कुछ सेकंड बाद भाभी की तरफ से भी साथ मिलने लगा.

बस फिर क्या था मेरी तो लॉटरी लग गयी.
हम दोनों ने लम्बी स्मूच की.

कम से कम 8 से 10 मिनट तक हम दोनों यूं ही एक दूसरे से लगे रहे.

फिर भाभी में मुझे धक्का दिया और नीचे देखने के लिए भागीं. फिर वो सीढ़ियों से वापिस आईं और दरवाजा बंद करके कैरम बोर्ड को ऐसे सैट कर दिया कि कोई आए, तो उसे लगे कि हम दोनों नीचे बैठ कर खेल रहे हों.

फिर भाभी फिर बेड पर आ गईं और मुझे अपने साथ खींच लिया. मैं बेड पर गिरा तो वो मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे फिर से होंठ से होंठ लगा कर स्मूच करने लगीं. मुझे मजा आने लगा ऐसा महसूस होने लगा, जैसे मैं स्वर्ग में सैर कर रहा होऊं.

एक लम्बे स्मूच के बाद भाभी एकदम पगला सी गई थीं. वो मुझे गालों पर, कान पर किस करने लगीं. भाभी ने जैसे ही मुझे कान की लौ पर किस किया, तो मैं एकदम से सिहर उठा.

अब मैं गर्मा गया था तो मैंने भाभी को धक्का मार कर उन्हें अपने नीचे ले लिया.
मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उन्हें बेतहाशा चुम्बन करने लगा. कभी मैं उनके गाल पर चूमता, तो कभी गले पर, कभी कान के आस पास.

जैसे ही मैंने भाभी के चुचे छुए, तो भाभी उठ कर बैठ गयी और उन्होंने अपना टॉप उतार दिया.

उनके गोरे दूध काली ब्रा में कैद देख कर मैं तो पागल होता जा रहा था. भाभी का कंचन सा गोरा बदन और उस पर काली ब्रा बड़ा कहर ढा रही थी.

मैंने ब्रा की स्ट्रिप कंधे से नीचे कर दीं. वो मुझे वासना से देखे जा रही थीं.

मैंने उनकी दूधिया घाटी को देखते हुए भाभी को बिठा दिया और पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया.
जैसे ही ब्रा से आजाद हुए पिंक निप्पल मुझे दिखे. आह … उनके रसीले दूध देख कर मैं मानो बौरा गया था.

मैंने अपने होंठ उनके एक चुचे के निप्पल पर धर दिए और चूसने लगा. भाभी के मुँह से मादक सीत्कार निकल गई और वो मुझे अपने हाथ से दूध पिलाने लगीं.
मैंने बारी बारी से भाभी के दोनों अमृत कलश चूसे और मसले.

कुछ देर बाद उनको देखते ही मैंने उनके एक दूध को पूरा अपने मुँह में लेने की कोशिश की तो भाभी बहुत उत्तजित हो गयी थीं.

वो बोलीं- क्यों सता रहा है … अभी पहले जल्दी से अन्दर डाल दे … ये सब बाद में कर लियो. तुझे जो भी करना हो, कर लेना लेकिन अभी बड़ी आग लगी है, प्लीज़ पहले तू अपना मेरे अन्दर डाल दे.

मैंने उन्हें चूमा और उनको हाथ से उठाने की कोशिश की.
भाभी खुद से उठ गईं और फटाफ़ट अपना लोअर और पैंटी को निकाल कर नंगी हो गईं.

फिर भाभी ने मेरा लोअर खींच निकाला और चित लेट कर मुझे अपने ऊपर ले लिया.

भाभी ने अपनी दोनों टांगें खोल दीं. वो वासना में मेरे खड़े लंड को देखते हुए बोलीं- डाल जल्दी.

मैंने भी देर न करते हुए भाभी की चिकनी चुत पर लंड टिका दिया और धक्का दे दिया.

चुत लंड एकदम चिकने हो चुके थे. हल्के से झटके में ही लंड चुत के अन्दर घुसता चला गया.

भाभी चुत बिल्कुल गीली थी. लंड अन्दर गया तो मानो जन्नत मिल गई थी. मुझे तो ऐसा लगा कि न जाने आज कितने दिनों बाद चुत का स्वाद मिल गया हो.

बस अब क्या चाहिए था … इस लॉकडाउन में मुझे वैक्सीन मिल गई थी.

मैंने पूरा लंड चुत के अन्दर जड़ तक पेला तो भाभी की कराह निकल गई.
वो सीत्कार करते हुए बोलीं- आह … पूरे एक महीने बाद लंड मिला है.

मैं झटके मारने लगा.
भाभी मस्ती से आह ऊह कर रही थीं और खुद भी नीच से अपनी गांड उठा आकर जोर जोर से झटके मार रही थीं.

मुझे भाभी की चुदाई करने में बहुत मज़ा आ रहा था. कोई पांच मिनट बाद भाभी झड़ गईं.

उनके दो मिनट बाद मेरा भी होने वाला था. मैंने भाभी से बोला कि मैं आ रहा हूँ.
भाभी बोलीं- नहीं … अभी नहीं.

लेकिन मेरा हो गया और मैंने भाभी के अन्दर ही अपना वीर्य झाड़ दिया.
मेरा लंड अभी भी भाभी के अन्दर ही था.

मगर भाभी शायद फिर से चार्ज हो गई थीं और उनके झटके फिर से चालू हो गए थे. मैं लंड को अन्दर डाले हुए उन्हें शांत करने में लगा रहा.
कोई 4-5 झटकों बाद भाभी भी झड़ गईं.

हम दोनों ने चुदाई के बाद एक दूसरे को देखा और स्माइल दे दी.

फिर भाभी उठीं और कपड़े पहन कर नीचे चली गईं.

अकेली भाभी को वीडियो दिखाकर किया गलत काम

भाभी का सेक्स करने का मन था-1

भाभी का सेक्स करने का मन था यह मैं उनकी हरकतें देख कर जान चुका था. मुझे लगा कि मौक़ा अच्छा है, मुझे इसका फायदा लेकर भाभी की चूत चुदाई कर देनी चाहिए.

आप सभी चूत के पूजारी भाइयों व लंड की दीवानी भाभियों को आदित्य के खड़े लंड का नमस्कार.

सबसे पहले तो आप लोगों से माफी चाहता हूँ कि मैं किसी घरेलू कारण की वजह से अपनी कहानी लिखने में दो साल लेट हो गया.

वैसे आप सभी मुझे अच्छी तरह से जानते होंगे, लेकिन फिर भी मैं आपको अपना परिचय दे देता हूँ. मेरा नाम आदित्य है और मैं गुड़गांव में रहकर एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ.

आप लोगों ने मेरी कहानी
बस में मिली लड़की के साथ सेक्स का मजा
पढ़ी और काफी सराहना की. आप लोगों के काफी मेल मिले … जिसके लिए आप सभी का धन्यवाद.

साथियो, मेरी जो भी कहानी होती है, वो बिल्कुल सच्ची होती है. उसमें कोई झूठ या कल्पना नहीं होती है.

ये बात पिछले साल 2018 की है. मेरे दोस्त का नाम कपिल है (बदला हुआ) कपिल की बीवी मनीषा (बदला हुआ नाम) है.

हुआ ये कि मनीषा भाभी की तबियत खराब हो गयी थी.
डाक्टर ने बोला कि मनीषा को हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा, क्योंकि टाइफाईड ने मरीज को कुछ ज्यादा ही बीमार कर दिया है.

कपिल ने डॉक्टर की सलाह मानते हुए मनीषा भाभी को गुड़गांव के ही एक हस्पताल में एडमिट करवा दिया.

मनीषा भाभी व कपिल का मेरे परिवार के साथ आना जाना है. मैंने कभी भी मनीषा भाभी को गलत नजरों से नहीं देखा था क्योंकि कपिल मेरा सबसे अच्छा दोस्त था.
परन्तु मुझे ये पता था कि मनीषा भाभी थोड़ा तेज आइटम हैं. क्योंकि भाभी की नजरों को मैंने कई बार नोट किया था.
वैसे भी भाभी काफी सेक्सी लगती थीं. भाभी की आंखें किसी को भी दीवाना बना सकती थीं.

कपिल की और उसकी बीवी की ज्यादा बनती नहीं थी. मनीषा भाभी बहुत ही ज्यादा सुंदर थीं. उनको देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था. हर कोई मनीषा भाभी की चूत का रस चखना चाहेगा. मन में तो मेरे भी, बहुत बार आया कि कोशिश करूं, लेकिन कपिल से पक्की दोस्ती होने के कारण मैंने कभी ऐसा नहीं कर पाया.

खैर मैं और मेरी बीवी उसको देखने हॉस्पिटल गए. अब भाभी पहले से ठीक थीं.

जब हम वहां बैठे बात कर रहे थे, तो कपिल कुछ परेशान सा लगा.
मैंने पूछा कि क्या बात है?
उसने बताया कि दो दिनों से उसका भाई भी हॉस्पिटल में एडमिट है क्योंकि उसका रोड एक्सीडेंट हो गया है.

अब कपिल परेशान था कि उसे उसको देखने भी जाना था जो कि गुड़गांव से 200 किलोमीटर से ज्यादा दूर था.
कपिल बोला- मुझे जाना पड़ेगा, लेकिन मनीषा अकेले कैसे रहेगी.

जब मजबूरी हो गयी, तो मेरी बीवी बोली- भैया आप घर चले जाओ … यहां तुम्हारे भैया रुक जाएंगे.

कपिल ने कुछ सोचते हुए रजामंदी दे दी.

मैं कपिल को लेकर उसके घर गया और वहां से निकल कर वो राजीव चौक जाकर मेट्रो में बैठ गया. उधर से उसे नई दिल्ली स्टेशन जाना था, जिधर से वो अपने घर के लिए ट्रेन पकड़ लेता.

कपिल को छोड़कर मैं सीधा अस्पताल आ गया और वहां से अपनी बीवी को छोड़ने घर आ गया. घर से खाना खाकर मैं वापिस अस्पताल आ गया. चूंकि सर्दी का मौसम था, तो मैं घर से एक कम्बल लेकर आ गया था.

मैं हस्पताल में बैठ कर भाभी के साथ बातें करने लगा. मनीषा भाभी कुछ इस तरह से लेटी हुई थीं कि उनके चूचे मुझे दिखाई देने लगे.
मेरी निगाहें भाभी के मम्मों पर टिक गईं.
भाभी के चूचे एकदम गोरे थे. मैंने एक छिपी नजरों से भाभी के चूचे देखकर अपनी नजरें इधर उधर कर लीं.

लेकिन भाभी ने अपनी चूचियों नहीं ढका. मेरी नजरें बार बार वहीं जा रही थीं. शायद भाभी ने मेरी नजरें देख ली थीं … मगर उन्होंने ये सब अनदेखा कर दिया.

कुछ देर बाद मैं अटेंडेट वाली सीट पर कम्बल ओढ़ कर बैठ गया और हम दोनों बातें करने लगे. पहले तो हम इधर उधर की बातें करने में लगे थे.

फिर मैंने पूछ ही लिया कि भाभी आपकी और कपिल की बनती क्यों नहीं है!
भाभी बोलने लगीं- वो मेरा ध्यान नहीं रखता है.
मैंने कहा- नहीं … भाभी मुझे तो ऐसा नहीं लगता कि वो आपका ध्यान नहीं रखता है.

हम लोग अभी यही सब बातें कर ही रहे थे कि तभी रूम में सिस्टर आ गयी और उसने कहा कि अब रात को आप आराम करो … कोई दवाई देनी बाकी नहीं है. लेकिन आपको अगर किसी बात की जरूरत हो, तो घंटी बजा देना, मैं आ जाऊंगी.

ये कह कर नर्स कमरे से चली गयी.

मैंने फिर से अपनी बात शुरू की और भाभी से पूछा कि बताओ कि वो आपका क्या ध्यान नहीं रखता?

भाभी बोलीं- आप अपनी बीवी का जितना ध्यान रखते हो, वो इतना भी नहीं रखता है.
मैंने कहा- नहीं भाभी, कपिल आपका बहुत ध्यान रखता है.

इसी तरह हम दोनों घर परिवार की बातें करने लगे.

लगभग 10 मिनट के बाद मनीषा भाभी बोलीं- मेरे सर में दर्द हो रहा है.
मैंने कहा कि मैं सिस्टर को बुला लाता हूँ … वो कोई टेबलेट दे देगी.
भाभी बोलीं- अभी नहीं … थोड़ी देर देखती हूँ.
मैंने पूछा कि मैं आपके लिए चाय ले आता हूं.
वो बोलीं कि तुमको भी चाय पीनी है क्या?
मैंने भी हां कर दी, तो वे बोलीं कि एक ही लाना … उसी में से मैं भी थोड़ी सी पी लूंगी. वैसे मेरा मन कॉफ़ी पीने का था, अब वो इधर मिलेगी नहीं.

मैं चाय लेने ऊपर कैंटीन में चला गया. उधर संयोग से कॉफ़ी भी मिल रही थी, तो मैं एक अच्छी सी काफी बनवा कर ले आया.

मैं भाभी से बोला- चाय की जगह कॉफ़ी मिल रही थी, मैं कॉफ़ी ही ले आया हूँ, लो पहले आप पी लो.
उन्होंने बोला- नहीं पहले आप पी लो, मेरे लिए थोड़ी सी बचा देना.
मैंने कहा- ठीक है मैं थोड़ी कॉफ़ी दूसरे कप में आपको दे देता हूँ.
भाभी बोलीं- नहीं … आप पी लो, मैं आपके बाद इसी कप से ले लूंगी.

ये सुनकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा कि भाभी इसी कप में क्यों पियेंगी. खैर … मैंने थोड़ी कॉफ़ी पी और कप उनको दे दिया.

भाभी ने कॉफी पी ली.

अब मैंने पूछा- भाभी आपने मेरी झूठी कॉफी क्यों पी?
भाभी बोलीं- झूठा पीने से प्यार बढ़ता है.

ये सुनकर मुझे आश्चर्य सा हुआ कि भाभी ने ऐसा क्यों बोला. अब मुझे थोड़ी उत्सुकता होने लगी. क्या भाभी का सेक्स करने का दिल कर रहा है?

मैंने पूछा- अब सर का दर्द कैसा है आपका?
भाभी बोलीं कि अभी हो रहा है.

मैंने बाहर जाकर सिस्टर को बोला, तो उसने एक टेबलेट दे दी.

गोली लेने के बाद भाभी बोलीं- आप मेरा एक काम करोगे?
मैंने बोला- हां बताइये न भाभी … क्या काम है?
भाभी बोलीं कि क्या आप मेरा सर दबा दोगे?

मैं थोड़ा सोचने लगा. तभी अचानक से भाभी ने हल्के स्वर में कुछ बोला.

मैं समझ नहीं सका कि भाभी ने क्या कहा, तो मैंने पूछा कि आपने क्या कहा भाभी … मैं सुन नहीं पाया?
भाभी बोलीं- क्या आप जैसे भाभी का सर दबाते हो, वैसे ही मेरा भी दबा दोगे.

दोस्तो, जब कभी मेरी वाइफ की तबियत खराब हो जाती है तो मैं इसमें शर्म नहीं करता.

मैंने पूछा कि भाभी आपको कैसे पता है?
भाभी बोलीं- मुझे भाभी ने सब कुछ बता रखा है.
मैंने कहा- ठीक है.

बस मैं उनके सर के पास जाकर खड़ा हो गया. जैसे ही मैंने सर पर हाथ रखा … मेरा लंड खड़ा हो गया.
आप लोग जानते ही हो कि जैसे ही कोई दूसरी लड़की या कोई भी दूसरी औरत का हाथ भी लग जाए … तो लंड महाराज एकदम खड़े हो जाते हैं.

भाभी का सर दबाते समय मैं कुछ ज्यादा ही बिंदास हो गया था. चूंकि मेरे हाथों पर भाभी ने अपने हाथ रख लिए थे और पूरे सर के साथ वो मेरे हाथ को कुछ अजीब से ढंग से दबाते हुए अपने सर की सेवा करवा रही थीं.

मैंने धीरे से मनीषा भाभी के गालों पर भी एक हाथ लगा दिया. जिसका उन्होंने कोई विरोध नहीं किया.
बल्कि वो मेरे हाथ से अपने गाल सहलवा कर ये भी कहने लगीं- जरा ठीक से देखो क्या मेरा शरीर बुखार से गर्म लग रहा है?
मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसा तो नहीं लगा रहा है.

भाभी कहने लगीं- लेकिन न जाने क्यों आज मुझे अपने शरीर में बड़ी थकान सी लग रही है. आपके हाथ से मुझे अपने सर में बड़ा आराम मिल रहा है. प्लीज़ आप मेरे कंधे भी दबा दो.

मैंने भाभी के दोनों कंधों पर हाथ रख दिए और उनके चिकने बदन को सहलाते हुए मजा लेने लगा. अब मेरा लंड कड़क हो चला था और एकदम साफ दिखने लगा था. क्योंकि मैंने लोअर पहन रखा था.

भाभी बोलीं- तुम बेड पर ही बैठ जाओ.

मैं भाभी के बेड पर बैठ गया और भाभी का सर दबाने लगा. उनका सर दबाते हुए कभी कभी मैं अपना हाथ भाभी के गालों पर भी लगा देता. भाभी के गाल बिल्कुल चिकने थे. भाभी के चूचे भी मुझे दिखाई देने लगे थे. मेरा मन करने लगा था कि अभी भाभी के मम्मों को दबा दूँ, लेकिन अभी मैं कोई ऐसी हरकत नहीं करना चाहता था.

मैंने बात शुरू करने के इरादे से पूछा- भाभी और बताओ कि कपिल आपका क्या क्या ध्यान नहीं रखता.

इस पर मनीषा भाभी बोलीं- कपिल हफ्ते में एक बार ही मेरा ध्यान रखता है.
अब मैं समझ तो गया था कि भाभी क्या बोल रही हैं.

फिर भी अनजान सा बनकर मैंने बोला- भाभी मैं समझा नहीं कि हफ्ते में एक बार ही ध्यान रखता है … इसका क्या मतलब हुआ?
भाभी बोलीं- इतने अनजान मत बनो कि समझे नहीं … तुम सब समझते हो.
मैंने उनकी आंखों में झांका.

तो मनीषा भाभी बोलीं- मुझे सोनिया ने (मेरी बीवी का बदला हुआ नाम) सब कुछ बता रखा है कि तुम हफ्ते में पांच दिन उसको नहीं छोड़ते हो.

दोस्तो, मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैं हर रोज सेक्स करता हूं. ये मेरी कमजोरी है. मेरी बीवी को पता है कि मुझे बिना चूत चोदे नींद नहीं आती है.

मैंने मनीषा भाभी को बोला- आप अपना सर मेरी गोद में रख लो.
भाभी ने अपना सर मेरी गोद में रख लिया और मैं उनका सर दबाने लगा.

अब तक मेरा लंड अंडरवियर फाड़ने को हो गया था. मैंने अपना एक हाथ भाभी के मम्मों पर रखा और उनके चूचे दबा दिए.

भाभी ने मेरे हाथ पर हाथ रख कर हाथ को दबा दिया.

भाभी की चूचियां एकदम ठोस थीं. उनकी एक औलाद होने के बाद भी चूचियों की कसावट पर कोई असर नहीं पड़ा था.

दोस्तो, मैं आपको बताना भूल गया था कि भाभी के एक लड़का भी है, जो अभी अपने नाना के घर गया हुआ था. एक दस साल का लड़का होने के बाद भी मनीषा भाभी के चूचे एकदम टाइट थे क्योंकि भाभी अपनी फिगर का काफी ध्यान रखती थीं और जिम वगैरह भी जाती थीं.

मैंने भाभी की रजामंदी देखी तो झट से अपना एक हाथ भाभी के सूट के गले में से अन्दर डालकर उनका एक निप्पल पकड़ लिया. भाभी का निप्पल एकदम टाइट और खड़ा हुआ था.

मैंने निप्पल को अपनी दो उंगलियों से मींजते हुए जोर से दबा दिया.

भाभी कराह उठीं- धीरे करो … क्या जान ही निकालोगे?
मैंने- जान निकाल लूंगा, तो बाकी की खुशियां कैसे ले दे सकूंगा.

भाभी हंस दीं भाभी की सेक्स करने की इच्छा थी और मुझे उनकी तरफ से खुली छूट मिल गई.

मैंने वहीं बैठे बैठे भाभी के होंठों पर एक किस कर दिया. भाभी ने भी मेरे होंठों को चूम लिया.

मैंने उनके निचले होंठों को अपने मुँह में भर लिया और मस्ती से चूसने लगा. एक पल बाद ही भाभी ने भी दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़कर नीचे कर लिया. वो भी मेरे होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मैं भाभी के सर को अपने गोद में लेकर बैठा था इसलिए अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. उनका एक हाथ मेरे लंड पर आ गया और भाभी लंड की तलाश करने लगीं. मैंने झट से भाभी का हाथ अपने लंड पर लगा दिया. वो मेरे लंड को दबाने लगीं.

मैंने भाभी के कुरते के गहरे गले में से एक चूचे को थोड़ा बाहर निकाला और अपने मुँह से काटने लगा.

मुझे बैठे हुए ये सब करने में काफी परेशानी हो रही थी और उनका दूध पूरा बाहर भी नहीं आ रहा था.

मैं उनके पलंग से उठा और मैंने बोला- मैं बाहर सिस्टर को देखकर आता हूं.

मैंने बाहर आकर देखा कि सिस्टर सहित सभी स्टाफ वहीं अपने कम्बल लेकर अपनी कुर्सियों पर बैठे थे. क्योंकि सर्दी का समय था और रात के 11 बज गए थे.

ये सब देख कर मैं वापिस कमरे में आ गया और मैंने दरवाजा बंद कर दिया. लेकिन दरवाजे में कुंडी नहीं थी. पहले तो मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ न हो जाए, फिर मैंने सर को झटका दिया और भाभी का सेक्स का फिर से मूड बनाने लगा.

मुझे आज भाभी के चुत चुदाई की बेहद मस्ती चढ़ी थी. भाभी का सेक्स का मन था और मैं ये मौक़ा गंवाने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था.

Bhabhi ki mast romance video Hindi

भाभी का सेक्स करने का मन था-2

आपने मेरी अन्तर्वासना भाभी की चुदाई हिन्दी में सेक्स कहानी के पहले भाग में अब तक पढ़ा कि भाभी की मस्ती ने मुझे उन्हें चोदने के लिए पागल कर दिया था. मैं भाभी को तसल्ली से चोदने के नजरिये से एक बार बाहर जाकर देख कर आया था कि हस्पताल की नर्स वगैरह की क्या पोजीशन है.

अब आगे:

मैंने उनके बिस्तर के पास आकर उन्हें प्यार से देखा, तो भाभी ने आंख मार दी.

मैंने वहीं झुक कर भाभी के कम्बल में हाथ डालकर उनकी कमीज को ऊपर किया और ब्रा से मम्मों को निकालने लगा. लेकिन भाभी की ब्रा इतनी टाइट थी कि मम्मे बाहर निकल ही नहीं सके.

फिर भाभी ने एक साइड को करवट ली और बोलीं कि ब्रा का हुक खोल दो.

जब मैंने ब्रा का हुक खोलने के लिए भाभी की कमीज ऊपर की, तो देखा कि ब्रा काफी अच्छी और महंगी थी.

मैंने कहा कि अच्छा हुआ कि मैंने ब्रा फाड़ी नहीं. ये तो काफी महंगी वाली क्लोविया की ब्रा है.
भाभी हंस दीं और बोलीं- तुमको कैसे मालूम कि ये महंगी है?
मैंने कहा- मुझे इसलिए पता है क्योंकि अपनी बीवी के लिए ब्रा और पेंटी मैं ही खरीदता हूँ.

भाभी हंस दीं और बोलीं- देखो, तुम कपिल के प्यार न करने का सबूत खुद ही दे रहे हो. मैं अपने लिए खुद ही अंडरगारमेंट्स खरीदती हूँ, जबकि तुम खुद सोनिया के लिए ब्रा पैंटी वगैरह लाते हो. मर्द को अपनी बीवी के लिए सेक्सी ब्रा पैंटी खरीदने की चाह होती है कि रात में उसकी बीवी उसकी लाइ हुई सेक्सी ब्रा पैंटी पहन कर उसके सामने आए. मगर कपिल ये सब समझता ही नहीं है.

भाभी की ब्रा क्लोविया की पैडेड ब्रा थी, जोकि बहुत ही सुंदर थी. मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और मनीषा भाभी को सीधा करके उनकी ब्रा हटा दी.

आह क्या मस्त चूचे थे. मैंने देर नहीं की और भाभी का एक निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा. साथ ही दूसरे निप्पल को मसलने लगा. मनीषा भाभी के मम्मों का साईज 36 इंच का था.

उधर मनीषा भाभी ने भी अपने एक हाथ से लोअर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया.

मैं भाभी के पेट पर किस करने लगा. तो भाभी अपनी कमर को ऊपर उठाने लगीं और मेरे लंड को जोर से दबाने लगीं.

अगले ही पल मनीषा भाभी का हाथ मेरे अंडरवियर में घुस गया था. मैंने भी अपना एक हाथ भाभी के पजामी में डाल दिया और हाथ से महसूस किया कि भाभी की चूत से पानी निकल रहा था, जिससे भाभी की चूत गीली हो गयी थी.

मैंने धीरे से एक उंगली भाभी की चूत में डाल दी. भाभी ‘सी सी आह आह..’ करने लगीं और मेरे लंड को आगे पीछे करने लगीं.

मैंने मनीषा भाभी के ऊपर आते हुए अपनी जीभ की उनकी नाभि में डाल दी. वो पागलों की तरह मचलने लगीं.

अभी ये सब मैं झुककर कर ही रहा था कि भाभी ने अपनी दोनों टांगें खोल दीं. उनकी चुत खुल गई थी, तो मैंने अपनी दो उंगलियां भाभी की चूत में डाल दीं और मैं उनकी चुत को उंगली से ही चोदने लगा.

फिर मैं थोड़ा रुका … क्योंकि मुझे ये डर भी था कि कहीं कोई सिस्टर रूम में ना आ जाए.
इसलिए मैं बोला- भाभी मैं बाहर देख कर आता हूँ.

भाभी बोलीं- कुंडी लगा देना.
मैंने कहा- वही तो दिक्कत है … साली कुंडी है ही नहीं.

भाभी मेरी बेकरारी देख कर हंस दीं.

मैं बाहर आ गया और देखा कि सभी सिस्टर्स अपनी कुर्सी पर बैठकर सो रही थीं. बस एक जाग रही थी.

मैं फिर से रूम में वापिस आ गया. मनीषा टॉयलेट में चली गई थीं.

पांच मिनट के बाद मनीषा भाभी बाहर आ गईं. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था.

मैंने कहा कि भाभी अब जल्दी से दे दो.
भाभी आंख दबा कर बोलीं- क्या दे दूं?
वो थोड़ा मजाक के मूड में आ गयी थीं.

मैंने फिर से कहा- दे दो यार … क्यों सता रही हो.
पर वो बोलीं- पहले ये बताओ कि क्या दे दूं? जब तक तुम बताओगे नहीं … मैं कुछ नहीं करने दूंगी.
मैंने भी बोलने में देर नहीं की और कहा- यार मनीषा, अपनी चूत दे दो.

हालांकि मुझे ये बोलने थोड़ा शर्म लगी. इस डायलॉग के बाद मैं और वो दोनों शर्मा गए.

वो बोलीं- कोई आ जाएगा!
मैंने कहा- अब कोई नहीं आएगा.

ये कहते हुए मैंने पकड़ कर उनको अटेंडेंट वाली बेंच पर बैठा दिया और मैं उनके सामने सीधा खड़ा हो गया. मैं अपने लंड को निकाल कर उसके मुँह में देने लगा.

पहले तो भाभी मना करने लगीं … लेकिन मैंने भी अपना लंड भाभी के होंठों पर लगा दिया. उन्होंने थोड़ा सा मुँह खोला, तो मैंने अपना आधा लंड मुँह में घुसा दिया.

दोस्तो, आपको शब्दों में बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आ रहा था. भाभी का लंड चूसने का तरीका बिल्कुल ब्लू फिल्मों की तरह था.

मैंने दोनों हाथों से भाभी का सर पकड़ लिया और अपने हाथों से उनके सर को आगे पीछे करने लगा.
आप जानते ही हो कि जब कोई लड़की लंड को चूसती है, तो कितना मजा आता है.

मैं अपनी सभी भाभियों और लड़कियों से कहना चाहता हूं कि जो इस समय मेरी कहानी पढ़ रही हैं, वो जानती होंगी कि एक आदमी को सबसे ज्यादा मजा अपना लंड चुसवाने में ही आता है.

कुछ फीमेल्स को लंड चूसने का सही तरीका नहीं पता होता है, उन्हें मैं बताना चाहता हूँ कि लंड को केवल होंठों से चूसना चाहिए. दांतों का दबाव बिल्कुल नहीं देना चाहिए. और मैं ये सब इसलिए लिख पा रहा हूं कि मैं अब तक कम से कम 20 या 22 फीमेल्स की चुदाई कर चुका हूँ. चलो ये सब बातें करूंगा, तो बातें बहुत लंबी हो जाएंगी. हम वापिस वहीं मनीषा भाभी के पास आते हैं.

अब मैं बिल्कुल जन्नत की सैर कर रहा था क्योंकि मनीषा भाभी लंड को बहुत ही मजे से चूस रही थीं.

मैंने दोनों हाथों से भाभी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और उनके निप्पलों को उंगलियों से मसलने लगा. मनीषा भाभी भी एकदम रंडी के जैसे लंड चूस रही थीं. उन्होंने मेरे दोनों आंड मुँह में लेकर बारी बारी से चूसे. आह दोस्तों वो आनन्द शब्दों में मैं आपको नहीं लिख सकता. आप केवल महसूस कर सकते हैं.

कुछ ही देर में मेरा रस निकलने वाला था … लेकिन मैंने भाभी को बताया नहीं … क्योंकि अब तो मैं उनके मुँह में ही अपना वीर्य छोड़ना चाहता था.

जैसे ही मेरा वीर्य मनीषा भाभी के मुँह में झड़ा, उन्होंने फट से मेरा लंड बाहर निकाल दिया. आधा वीर्य ही भाभी के मुँह में निकल सका था.

वो उठ कर टॉयलेट में चली गईं. जब वापिस आईं, तो थोड़ी नाराजगी दिखाने लगीं.

मैंने सॉरी बोला, तो वो कुछ नहीं बोल पाईं.

मैंने कहा- भाभी आपके सर का दर्द कैसा है?
भाभी बोलीं- अब ठीक है … तुमको ऐसा नहीं करना चाहिए था.

मैंने कहा- भाभी आप चूसती ही इतने अच्छे से हो कि मुझे होश ही नहीं रहा. मुझे आज तक इतना मजा पहले कभी नहीं आया था. सोनिया ने कभी इतनी अच्छी तरह से मेरा लंड नहीं चूसा था. इसलिए मैं लंड निकाल ही नहीं सका.

भाभी हंस कर बोलीं- तुम मस्का लगा रहे हो.
मैंने कहा- नहीं भाभी कसम से आप पूरा मजा देती हो.
भाभी बोलीं- तुम मुझे नाम से ही बुलाओ … ये भाभी भाभी कहना अच्छा नहीं लग रहा है.

मैंने कहा- ठीक है जान. अब अन्दर भी करने दो.
भाभी बोलीं- नहीं … यहां अब कोई आ जाएगा … तो प्रॉब्लम हो जाएगी.

मैंने टाईम देखा, तो 12.40 हो गए थे. मैं बोला- यार एक काम करते हैं … मैं ही सिस्टर को चैक करवाने के लिए बुला लाता हूँ. फिर उससे कह देंगे कि अब डिस्टर्ब नहीं करना.
मनीषा भाभी बोलीं- हां, ये ठीक रहेगा.

मैं बाहर आया और सिस्टर को सोते से उठा कर बोला- आप पेशेंट को एक बार चैक कर लो, कहीं फीवर वगैरह तो नहीं है.

सिस्टर कमरे में आ गयी और चैक करके बोली कि सब ठीक है, कोई फीवर नहीं है … अब आप सो जाओ. सुबह डॉक्टर आकर चैक करेंगे.

मैंने हां कह दिया तो सिस्टर चली गयी.

भाभी बोलीं- तुम बड़े चालाक हो.
मैंने कहा- क्यों … मैंने क्या चालाकी की?
भाभी बोलीं- कहीं सिस्टर आ ना जाए … इसलिए खुद ही उसे बुला लाए.
मैंने कहा- यार आज मौका मिला था, तो हाथ से कैसे जाने देता.

मैं मनीषा भाभी के होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा और वो भी मेरे मुँह में जीभ डालकर जीभ को घुमाने लगीं. मैं भी मनीषा भाभी की जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मैं दोनों हाथों से मनीषा भाभी के सर को पकड़े हुए था और उनका एक हाथ मेरे लोअर में था.

मेरे लंड को पकड़ कर भाभी उसको आगे पीछे करने लगीं. मेरा मुरझाया हुआ लंड फिर से खड़ा हो गया. अब मैंने अपना मुँह भाभी के होंठों से हटा कर उनके पेट पर रखा और नाभि को किस करने लगा.

मनीषा भाभी गर्म सिसकारियां लेने लगीं.

मैंने उनके पजामे को नीचे कर दिया. भाभी ने काले रंग की पेंटी पहनी हुई थी. मैंने भाभी की पेंटी में उंगली डालकर नीचे कर दी. भाभी ने भी अपनी गांड ऊपर उठा ली.

मैंने किस करना शुरू कर दिया और अपनी जीभ को भाभी के पेट और चूत के आस पास घुमाने लगा. इससे मनीषा भाभी अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगीं. अब मनीषा भाभी पूरी गर्म हो गयी थीं. उन्होंने मेरे लंड को छोड़कर अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़कर मेरा मुँह अपनी चूत पर रख दिया.

मैंने भी मनीषा भाभी की पूरी चूत अपने मुँह में ले ली और मैं अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर घुमाने लगा.

इससे कुछ ही पलों में मनीषा भाभी की चूत पानी छोड़ने लगी.

मैंने उनको बोला- अब जान तुम उठो और इधर आ जाओ.

मैंने वहां रखी एक कुर्सी को दीवार के पास रखा और उस पर बैठ गया. मैंने अपना लोअर और अंडरवियर एक पैर से निकाल लिया और मनीषा भाभी का भी लोअर और पेंटी एक साइड से निकाल कर लटका दी, ताकि जल्दी पहनने में कोई दिक्कत ना हो.

फिर मैंने मनीषा भाभी को बोला कि तुम मेरी ओर मुँह करके मेरे ऊपर बैठ जाओ और अपने दोनों हाथ दीवार पर रख लो.

वो वैसी ही पोजीशन में मेरे ऊपर बैठ गईं. मैंने लंड पकड़ कर उनकी चूत में फिट किया, तो मनीषा भाभी धीरे धीरे लंड पर बैठती चली गईं. मेरा पूरा लंड मनीषा भाभी की चूत में चला गया. उनको थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन थोड़ी ही देर में भाभी को चुदाई में मजा आने लगा.

वो मस्ती से गांड उठाते हुए ऊपर नीचे होने लगीं. मैंने मनीषा भाभी का एक निप्पल अपने मुँह में ले लिया और अपने दोनों हाथों से उनके चूतड़ पकड़ कर उनको लंड पर ऊपर नीचे करने लगा. मनीषा भाभी मादक सिसकारियां लेने लगीं.

मेरा पूरा लंड चूत में जाने लगा था. लेकिन मनीषा भाभी को दिक्कत होने लगी. क्योंकि कुर्सी की हाइट कम थी.
मनीषा भाभी के पैर दर्द करने लगे थे. वो बोलीं- ऐसे नहीं हो पाएगा.

मैंने उनको हटाया और वहीं कुतिया बनाते हुए झुका दिया. मनीषा भाभी ने अपने दोनों हाथ अटेंडेट वाली सीट पर रख लिए और अपनी गांड पीछे कर ली.

मैंने अपने दोनों हाथों से उनके चूतड़ों को पकड़ कर एक ही झटके में लंड चूत में डाल दिया और भाभी की चुदाई शुरू कर दी.

मनीषा भाभी भी मस्ती से अपनी गांड को आगे पीछे करके चुदाई का पूरा मजा ले रही थीं.
भाभी बोलने लगीं- आह अब मजा आ रहा है … आह जोर से करो.

मैंने भी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. मुझे अपना पूरा लंड उसकी चूत में जाता हुआ महसूस हो रहा था. भाभी की चुदाई पूरे जोरों पर थी.

कुछ ही देर में मनीषा भाभी कहने लगीं- आह और जोर से करो … मेरा निकलने वाला है.
मैंने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी.

अब मेरा लंड भी झड़ने वाला था. मनीषा भाभी भी मस्त सिसकारियां ले रही थीं. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए.

अब तक हम दोनों पसीने पसीने हो चुके थे. कुछ देर बाद भाभी उठ कर मेरी बांहों में समा गईं. मैं उन्हें सहलाता हुआ अपनी बांहों में थामे रहा.

इसके बाद उस रात में भाभी ने मुझे दो बार और चुत चुदाई करने का मौका दिया.

दोस्तो, ये थी मेरी और भाभी की चुदाई हिन्दी में कहानी. इसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था, हम दोनों चुदाई कर लेते थे.